Friday, November 14, 2008

with continue to 'WO HASIN LAMHE'.





1: डूबा रहू हमेशा ,उसकी झील जैसी आँखों में ,

महसूस करू उसे हरदम ,में अपनी साँसों में,

दो पल न रह सकू ,होके जुदा उस से में,

प्यारे लगते हे वो दिल को इतने की ,

बातें बस जाती थी उनकी हमारे जेहन में,

जेहनो-जिगर से वो जाते नही ,

याद आते हे हमेशा तन्हाइयो में,

करते हे शुक्रिया हम आज उस खुदा का,

की आज जीत हुयी हे चाहने वाले की इस दुनिया में...........


2: बिठाये रखते थे पलकों में उनको,


न कुछ दीखता था उनके सिवा,


याद रहती थी उसकी बातें हरदम,


उसकी बातों ने मेरे TOOTE हुए मुस्कुराते में में सिया,


ढूंढता हे 'अँधेरा' तन्हाइयों में,


मिल जाए उसे एक उजला दिया


मिल जाए उसे एक उजला दिया..........





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